Monday, 15 April 2013

[ELECTRICAL APPLIANCES WILL OPERATE BY MOBILE PHONE ]..........

BRIEF INTRODUCTION OF THE DEVICE:


We made this device called "Mobile Controlled Electric Appliances" for electricity saving and security purpose, using this device you can control (On/Off) your home/office electric appliances with the help of mobile from outside (even from any corner of the world). We also provide, Bluetooth connectivity in the device, pairing which you can control the appliances within a short range about 100 - 150 meters, without making any call to the mobile connected with the device and without touching the electric switches physically.
The device is very much useful in electricity saving and it may also be used for Home/Office security as we provide Fire/LPG & Sound sensor in the device, which enables it to detect the fire, short circuit, LPG leakage & any suspicious sound/thing in your absence and delivers a message to your mobile regarding exact
situation of the site. Using this device you control upto (7-9) electric appliances .The most advantageous thing of the device is that, we didn't use any micro controller or programming concept in this device, it is fully hardware based device, which keeps it's cost too low, compact size and make it's use very easy for the common public. While on the other hand a very few similar devices inbuilt in some AC/TV and irrigation system are totally based on programming concept ( combination of hardware & software). Due to this, these device are too expensive and has a large number of complexities to use it for the common public and the breakdown possibilities are much higher in such programming based devices.


PRESENTATION/DEMONSTRATION OF THE DEVICE:


First of all, we show this device to our H.O.D & Director Dr. Manoj Kumar. Later on NEDA(Non Conventional Energy Development Agency) Of Uttar Pradesh, adopted this project/device and keep it at it's headquarter at Lucknow for further consideration and to examine it's futuristic scope. The project/device is published in Danik Jagran on 10th Feb/2013 and in Kalptaru Express on 3rd Feb/2013 in Agra Zone and on 28th of Feb, it is published in Hindustan in Meerut Zone. We also invited by the Principal of "Chhatrapati Shivaji Saraswati Vidya Mandir Inter College" Shivaji - Nagar Bulandshahr, to demonstrate the device on the occasion of annual function "Varshikotsav - 2012" for developing some curiosity & creativity in their students towards the enhancing trend of mobile technology & automotion. And recently, Distt. Science. Club. Mathura forward it to CST(Council Of Science & Technology) Vigyan Bhawan, Lucknow, where Hon'ble President Of India, Mr. Pranab Mukherji is also visiting on 10th May/2013.

For more details follow the link below:

http://epaper.amarujala.com/pdf/2013/05/17/20130517a_008140.pdf

http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20130517a_008140011&ileft=-5&itop=1215&zoomRatio=177&AN=20130517a_008140011

http://epaper.amarujala.com/svww_index.php



BY:

                            ********MEGHVRAT ARYA********


Wednesday, 10 April 2013

MEIN BHI LIKH SAKTA THA (में भी लिख सकता था)..........


An answer to those peoples and such friends, who frequently ask me to write some Romantic Poetry in place of heroic poetry & poems showing Pathetic Sentiment.                                                              
"I hope these lines are enough to express my feelings & answer, why i write only heroic & Pathetic Sentiment type poetry".


यूँ, तो में भी तन  की सुरभि पर जाने क्या - क्या लिख सकता था
में भी गा सकता था गीत मेघ - मल्हारों के
में भी लिख सकता था गीत ग़जल श्रृंगारों  के ||१||

में भी महकते यौवन की अभिलाषा लिख सकता था
में भी सतरंगी सपनो को गा सकता था शब्दों में
में भी हाथों की मेहँदी और आँखों के काजल पर लिख सकता था. ||२||

लेकिन मैंने माँ भारती का आँचल हर पल दुखो से भरा देखा है
कितनी ही आँखों का काजल भी मैंने, हर पल आंसू के संग घुलते देखा है. ||३||

इसलिए, में अपने शब्दों की लावा को आग बनाकर गाता हूँ
इसलिए में कविता को अपना हथियार बनाकर गाता हूँ. ||४||



       BY:-


                                     ********MEGHVRAT  ARYA********




Tuesday, 29 May 2012

3 JUNE MAHASANGRAM(३ जून महासंग्राम).......


एक सन्यासी ने ४ जून सा प्रण, जो दोहराया है!
दश जनपथ पर देखो, आज फिर से मातम छाया है!!१!!

आत्मसुरक्षा को खतरा समझती है, इटली वाली माता!
काले धन का ब्यौरा जब-जब माँगा जाता!!२!!

सत्ता के नशे में अंधे होकर करते ये मनमानी!
जनलोकपाल जैसे कानून बनाने में करते ये आनाकानी!!३!!

एक योगी-सन्यासी ने इन लुटेरों को, आज फिर ललकारा है!
राष्ट्रहित युवाओं को रण में, आज फिर पुकारा है!!४!!

घर से निकलो दिल्ली पहुँचो, एक सन्यासी का ये आवाहन है!
मां भारती को मिलेगा उसका खोया गौरव, जन-जन से ये आश्वासन है!!५!!

अब न बरसेंगी सोते लोगों पर लाठी, न कोई 'राजबाला' शहीद होगी!
काला धन लाना होगा, लोकपाल बनाना होगा इससे पहले न भ्रष्ट नेताओं की कोई खैर होगी!!६!!



                                    BY:-                ................मेघव्रत आर्य..............
  

BHRASTACHAR SE SANGHARSH(भ्रष्टाचार से संघर्ष).....

भारत जिसे सोने की चिड़िया कहा जाता था
कोहिनूर जिसे स्वयं सुशोभित करता था
जिसकी माटी को दुनिया में अर्घ्य चढ़ाया जाता था
जिसकी माटी पर सभ्यता ने खोली थी सबसे पहले अपनी आँखें
वह भारत!! जिसकी गौरवगाथा स्वयं हिमालय गाता है
डूब गया भ्रष्टाचार की गहरी खायी में
आज देश की गौरवगाथा रोती है, मरघट की तन्हाई में
इसीलिए में शब्दों को अपना हथियार बन कर निकला हूँ
में भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ !!१!!

इसीलिए में देश की भोली जनता को दर्शन दिखलाने निकला हूँ
 भ्र्स्ताचारियों  का नामों निशान मिटाने निकला हूँ
यू .पी में तडपा है, बचपन जिनके काले कृत्यों से
बिहार में खा गए जो पशुओं तक के चारे को
जिन्होंने बेच दिया शहादत के भी ताबूतों को
 लोकतंत्र के सीने को जिसने छलनी कर डाला है
जनता के पैसे को जिसने पत्थर का बुत बना डाला है
जिन्होंने देश को दुनिया में शर्मसार किया है
देश के सीने में जिसने राष्ट्रमंडल, 2G घोटाले का घाव किया है
में उन भ्रष्टचारियों को उनके अंजाम तक पहुँचाने निकला हूँ
में भ्रस्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ!!२!!

आज देश में आतंकियों की मौत पर आंसू बहाया जाता है
संतों को गाली और मानवता के हत्यारे ओसामा को "ओसामा जी" कहा जाता है
जो शहीदों की शहादत को भी जाति-धर्म से तोल रहे हैं
अफजल-कसाब को तिहाड़ में निरंतर बर्गर-पिज्जा खिला रहे हैं
जो आरक्षण बढा-बढाकर अछम विषमता बाँट रहे हैं
निजी वोट-बैंक के लिए अल्पसंख्यकों का रोना रोकर जो नित संविधान को पहाड़ रहे हैं
जिन्होंने संसद की गरिमा को घायल सौ-सौ बार किया है
संसद को अपनी चौपाल बना दिया है
में उन गद्दारों को संसद के बाहर खदेड़ने निकला हूँ
इसीलिए में अपने शब्दों के तीखे वारों से जनता की चेतना जाग्रत करने निकला हूँ
आज नहीं जो तुम जागे, तो फिर कब जागोगे??
बचपन है तड़पता, लाचारी के आंसू रोता, 

यौवन है, सिसकता लाचारी के आंसू रोता, यही कहता फिर कब जागोगे??
यही समय है, भ्रस्ताचार से लड़ने का,
भारत को इस पीड़ा से मुक्त करने का 
देश के नौजवानों को में यही बताने निकला हूँ 
में भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ!!३!!

देश के अतीत में तुम झांको, फिर उसके वर्तमान को निहारो
तब देश की क्या पहचान थी, ये तुम पहचानो
भारत की क्या शान थी ये तुम पहचानो  
क्या कहती है जनता, क्या कहता है कुपोषित बचपन ये तुम पहचानो 
उनकी रोती हुए आवाजों को पहचानो 
चीख-चीखकर, बिलख-बिलखकर जो कहती हैं में वही सुनाने निकला हूँ 
में भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ!!४!!

जिसने भारत को नंगा कर डाला है 
तिरंगे के स्वाभिमान को भी जिसने धूमिल कर डाला है 
में उन्हें उनके अंजाम तक पहुँचाने निकला हूँ 
बेरोजगारी, भुखमरी, देश में फैली अराजकता चीख-चीखकर तुमसे ये कहती है
भ्रष्ट व्यवस्था परिवर्तित कर डालो,
रामदेव-अन्ना के सपनो का भारत नया रच डालो 
तुम वंशज वीर शिवा के हो, तुम्हें ये स्मरण कराने निकला हूँ  
तुम्हें तुम्हारे शौर्य पराक्रम का एहसास कराने निकला हूँ 
में भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ!!५!!


             

                        BY:-     ................मेघव्रत आर्य................






Saturday, 26 May 2012

BALIDAN TUMHARA(बलिदान तुम्हारा).......

ऐ शहीदों!! बलिदान तुम्हारा हर पल अमर रहेगा!
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!१!!

तुमने ही बन्दूक उठाकर दुश्मन को ललकारा
तुम्ही बन बैठे दुश्मनों की राहों पर अंगारा
आज़ादी का दीप तुम्हारे बल पर सदा जलेगा
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!२!!

धन्य है! जीवन तुम्हारा, तुमने अपने घर को छोड़ा
बहिनों की राखी छोड़ी, माताओं से मुख मोड़ा
कौन है, इस धरती पर जिन आँखों में पानी नहीं भरेगा
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!३!!

तुम सेनानी, तुम बलिदानी, तुमसे ''विजयी तिरंगा''
तुमसे ही वैभव पाती हैं, कोकिल यमुना-गंगा
देशप्रेम के लिए तुम्हे जग धरती पुत्र कहेगा
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!४!!

ऐ शहीदों!! बलिदान तुम्हारा हर पल अमर रहेगा
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!५!!


          
                               BY:-                .................मेघव्रत आर्य.................
                 

Monday, 21 May 2012

SMRITIKAAR TU SMRITI KARA DE(स्मृतिकार तू स्मृति करा दे)......


स्मृतिकार तू स्मृति करा दे, देशप्रेम मतवालों की
मात्रभूमि पर मिटने वाले भारत माँ के लालों की!!१!!

स्मृति न विस्मृत होने पाए,

अपने स्याह लहू से स्वतन्त्र भारत का सृजन करने वालों की

स्मृतिकार तू  स्मृति करा दे

देश की आज़ादी और कारगिल में शहीद वीर जवानों की

स्मृतिकार तू स्मृति करा दे, देशप्रेम मतवालों की
मात्रभूमि पर मिटने वाले भारत माँ के लालों की!!२!!


स्मृति न विस्मृत होने पाए,

राष्ट्रहित फांसी के फंदे को गले का हार बनाने वालों की,

स्मृतिकार तू स्मृति करा दे

घायल सीना लेकर दुश्मनों को खाक में मिलाने वाले वीर जवानों की

स्मृतिकार तू स्मृति करा दे देशप्रेम मतवालों की
मात्रभूमि पर मिटने वाले भारत माँ के लालों की!!३!!


स्मृतिकार तू स्मृति करा दे, बूढ़े पिता को
उनके बुढ़ापे का सहारा बनने नहीं आ रहा हूँ, में
जिन कन्धों चढ़कर घुमा में पूरे बचपन
उन्ही कन्धों का सहारा लेने फिर आ रहा हूँ में,

स्मृतिकार तू  स्मृति करा दे बूढी माँ को
उसे छोड़कर नहीं जा रहा हूँ में,
अपितु भारत माँ की रक्षा के लिए एक माँ की
कोख से जन्म लेने फिर आ रहा हूँ में,

स्मृतिकार तू स्मृति करा दे देशप्रेम मतवालों की
मात्रभूमि पर मिटने वाले भारत माँ के लालों की!!४!!




                BY:-                      ..................मेघव्रत आर्य................

Saturday, 19 May 2012

KAHAN JAYEGI SABHYTA(कहाँ जाएगी सभ्यता)???


 दिल करता है, चाँद सितारे तोड़कर उनके क़दमों में बिछा दूं !
क्या कहते हैं आप उन्हें अपना VALENTINE बना दूं!!

अरसा गुजर गया उन्हें छुपकर निहारते!
कभी मुस्कुराते, कभी गुनगुनाते!!

कुछ कहने की सोची तो फिसल गयी जुबां!
बढ़ गयी धड़कन, दिल थर-थर कांपे!!

इस नयी "यो-यो जनरेसन"  को देखो, कितना सटीक वार करती है!
पहली ही मुलाक़ात में मिलन की बात करती हैं!!

ये प्यार का मतलब देह से समझ बैठे हैं!
 हर किसी पर अपना हक समझ बैठे हैं!!

सेल फ़ोन की तरह प्रेमिकाओं को बदल रहे हैं!
वो भी क्या कम हैं, सब कुछ समझ रहे हैं!!

वादा किसी से, निभाया कहीं और जा रहा है!
तेरे ''मस्त-मस्त दो नैन'', गाया कहीं और जा रहा है!!

या रब ऐसे में मेरे भारत महान का क्या होगा!
कहां जाएगी सभ्यता, संस्कृति का जाने क्या होगा!!



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