Saturday, 19 May 2012

KAHAN JAYEGI SABHYTA(कहाँ जाएगी सभ्यता)???


 दिल करता है, चाँद सितारे तोड़कर उनके क़दमों में बिछा दूं !
क्या कहते हैं आप उन्हें अपना VALENTINE बना दूं!!

अरसा गुजर गया उन्हें छुपकर निहारते!
कभी मुस्कुराते, कभी गुनगुनाते!!

कुछ कहने की सोची तो फिसल गयी जुबां!
बढ़ गयी धड़कन, दिल थर-थर कांपे!!

इस नयी "यो-यो जनरेसन"  को देखो, कितना सटीक वार करती है!
पहली ही मुलाक़ात में मिलन की बात करती हैं!!

ये प्यार का मतलब देह से समझ बैठे हैं!
 हर किसी पर अपना हक समझ बैठे हैं!!

सेल फ़ोन की तरह प्रेमिकाओं को बदल रहे हैं!
वो भी क्या कम हैं, सब कुछ समझ रहे हैं!!

वादा किसी से, निभाया कहीं और जा रहा है!
तेरे ''मस्त-मस्त दो नैन'', गाया कहीं और जा रहा है!!

या रब ऐसे में मेरे भारत महान का क्या होगा!
कहां जाएगी सभ्यता, संस्कृति का जाने क्या होगा!!



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