Wednesday, 16 May 2012

PM Dr. MANMOHAN SINGH'S SECULARISM(प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की धर्मनिरपेक्षता)

आज धर्मनिरपेक्षता  का संक्रमण देश के स्वाभिमान और आत्मसम्मान को लगभग खोखला कर चुका है.   आज हिन्दू बहुसंख्य देश में हिन्दुओं को अपने ही अस्तित्व और आत्मसम्मान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.  अभी कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के राष्ट्रपति "आसिफ अली जरदारी" भारत के दौरे पर आये, जिनका ७२ व्यंजनों के साथ दश जनपथ पर जोरदार स्वागत किया गया, देश के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने स्वयं जरदारी के साथ अजमेर जाकर "मोईनुद्दीन चिस्ती" की दरगाह पर चादर चढ़ाई . आखिर डॉ मनमोहन सिंह की ऐसी कौन सी इक्छा या मनोकामना अधूरी रह गयी??? जो किसी गुरूद्वारे या मंदिर में जाने से पूरी नहीं हो सकती थी, और जिसे पूरा करने के लिए "मोइनुद्दिन चिस्ती" की दरगाह पर चादर चढाने  के लिए विवश होना पड़ा. यदि हम ये मान भी लें की हो सकता डॉ मनमोहन सिंह अल्पसंख्यक मुस्लिम, (हिन्दू-मुस्लिम) एकता  और धर्मनिरपेक्षता के लिए दरगाह पर चादर चडाने गए??? तो दूसरी तरफ पाकिस्तान का लाहौर और सिंध प्रान्त जहाँ लव जेहाद के नाम पर अब तक दर्जनों अल्पसंख्यक सिख और हिन्दू  लड़कियों को जबरन अगवा कर उनकी मर्जी के विरुद्ध मुस्लिम युवको से शादी करा कर धर्म परिवर्तन करा दिया गया और उनके परिजनों को ऐसी-ऐसी यातनाएं और धमकियाँ दी जाती हैं कि वो उनके इस कुकृत्य का कभी खुलकर विरोध तक नहीं कर पाते.  तो क्या यही धर्मनिरपेक्ष और शांतिप्रिय प्रधानमंत्री "डॉ मनमोहन सिंह" अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को   निभाते हुए पाकिस्तान जाकर लव जेहाद और अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा के मुद्दे   को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर उठा सकते हैं??? क्या डॉ मनमोहन सिंह पाकिस्तान में जाकर हिन्दू-मुस्लिम एकता और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर आसिफ अली जरदारी या प्रधानमंत्री युसूफ राजा गिलानी को अपने साथ किसी गुरूद्वारे या मंदिर में प्रसाद ग्रहण करने के लिए ले जा सकते हैं??? क्या जरदारी, बिलावल या युसूफ राजा गिलानी में से कोई भी डॉ मनमोहन सिंह के साथ किसी गुरूद्वारे में जाकर लंगर के लिए आर्थिक सहायता तो छोड़ो, क्या पांच किलो चावल या दो किलो गुड भी दान कर सकते हैं???   में दावे के साथ कहता हूँ की जरदारी, बिलावल या गिलानी में से कोई भी धर्मनिरपेक्षता तथाकथित (हिन्दू मुस्लिम एकता) के नाम पर किसी गुरूद्वारे या मंदिर में कभी नहीं जायेंगे . तो फिर क्या धर्मनिरपेक्षता निभाने की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ हिन्दुओं की ही रह गयी है??? आखिर कब तक अपना स्वाभिमान और आत्मसम्मान "दस जनपथ" पर 'सोनिया माता' के चरणों में गिरवी रख चुके डॉ मनमोहन सिंह धर्मनिरपेक्षता (वोटबैंक) के नाम पर आतंकवाद, लव जिहाद और अफजल-कसाब जैसे अतिसंवेदनशील और गंभीर विषयों पर मौनव्रत धारण किये रहेंगे????

            BY:-
                                                 
                                       ......................मेघव्रत आर्य........................

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