Tuesday, 29 May 2012

3 JUNE MAHASANGRAM(३ जून महासंग्राम).......


एक सन्यासी ने ४ जून सा प्रण, जो दोहराया है!
दश जनपथ पर देखो, आज फिर से मातम छाया है!!१!!

आत्मसुरक्षा को खतरा समझती है, इटली वाली माता!
काले धन का ब्यौरा जब-जब माँगा जाता!!२!!

सत्ता के नशे में अंधे होकर करते ये मनमानी!
जनलोकपाल जैसे कानून बनाने में करते ये आनाकानी!!३!!

एक योगी-सन्यासी ने इन लुटेरों को, आज फिर ललकारा है!
राष्ट्रहित युवाओं को रण में, आज फिर पुकारा है!!४!!

घर से निकलो दिल्ली पहुँचो, एक सन्यासी का ये आवाहन है!
मां भारती को मिलेगा उसका खोया गौरव, जन-जन से ये आश्वासन है!!५!!

अब न बरसेंगी सोते लोगों पर लाठी, न कोई 'राजबाला' शहीद होगी!
काला धन लाना होगा, लोकपाल बनाना होगा इससे पहले न भ्रष्ट नेताओं की कोई खैर होगी!!६!!



                                    BY:-                ................मेघव्रत आर्य..............
  

BHRASTACHAR SE SANGHARSH(भ्रष्टाचार से संघर्ष).....

भारत जिसे सोने की चिड़िया कहा जाता था
कोहिनूर जिसे स्वयं सुशोभित करता था
जिसकी माटी को दुनिया में अर्घ्य चढ़ाया जाता था
जिसकी माटी पर सभ्यता ने खोली थी सबसे पहले अपनी आँखें
वह भारत!! जिसकी गौरवगाथा स्वयं हिमालय गाता है
डूब गया भ्रष्टाचार की गहरी खायी में
आज देश की गौरवगाथा रोती है, मरघट की तन्हाई में
इसीलिए में शब्दों को अपना हथियार बन कर निकला हूँ
में भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ !!१!!

इसीलिए में देश की भोली जनता को दर्शन दिखलाने निकला हूँ
 भ्र्स्ताचारियों  का नामों निशान मिटाने निकला हूँ
यू .पी में तडपा है, बचपन जिनके काले कृत्यों से
बिहार में खा गए जो पशुओं तक के चारे को
जिन्होंने बेच दिया शहादत के भी ताबूतों को
 लोकतंत्र के सीने को जिसने छलनी कर डाला है
जनता के पैसे को जिसने पत्थर का बुत बना डाला है
जिन्होंने देश को दुनिया में शर्मसार किया है
देश के सीने में जिसने राष्ट्रमंडल, 2G घोटाले का घाव किया है
में उन भ्रष्टचारियों को उनके अंजाम तक पहुँचाने निकला हूँ
में भ्रस्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ!!२!!

आज देश में आतंकियों की मौत पर आंसू बहाया जाता है
संतों को गाली और मानवता के हत्यारे ओसामा को "ओसामा जी" कहा जाता है
जो शहीदों की शहादत को भी जाति-धर्म से तोल रहे हैं
अफजल-कसाब को तिहाड़ में निरंतर बर्गर-पिज्जा खिला रहे हैं
जो आरक्षण बढा-बढाकर अछम विषमता बाँट रहे हैं
निजी वोट-बैंक के लिए अल्पसंख्यकों का रोना रोकर जो नित संविधान को पहाड़ रहे हैं
जिन्होंने संसद की गरिमा को घायल सौ-सौ बार किया है
संसद को अपनी चौपाल बना दिया है
में उन गद्दारों को संसद के बाहर खदेड़ने निकला हूँ
इसीलिए में अपने शब्दों के तीखे वारों से जनता की चेतना जाग्रत करने निकला हूँ
आज नहीं जो तुम जागे, तो फिर कब जागोगे??
बचपन है तड़पता, लाचारी के आंसू रोता, 

यौवन है, सिसकता लाचारी के आंसू रोता, यही कहता फिर कब जागोगे??
यही समय है, भ्रस्ताचार से लड़ने का,
भारत को इस पीड़ा से मुक्त करने का 
देश के नौजवानों को में यही बताने निकला हूँ 
में भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ!!३!!

देश के अतीत में तुम झांको, फिर उसके वर्तमान को निहारो
तब देश की क्या पहचान थी, ये तुम पहचानो
भारत की क्या शान थी ये तुम पहचानो  
क्या कहती है जनता, क्या कहता है कुपोषित बचपन ये तुम पहचानो 
उनकी रोती हुए आवाजों को पहचानो 
चीख-चीखकर, बिलख-बिलखकर जो कहती हैं में वही सुनाने निकला हूँ 
में भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ!!४!!

जिसने भारत को नंगा कर डाला है 
तिरंगे के स्वाभिमान को भी जिसने धूमिल कर डाला है 
में उन्हें उनके अंजाम तक पहुँचाने निकला हूँ 
बेरोजगारी, भुखमरी, देश में फैली अराजकता चीख-चीखकर तुमसे ये कहती है
भ्रष्ट व्यवस्था परिवर्तित कर डालो,
रामदेव-अन्ना के सपनो का भारत नया रच डालो 
तुम वंशज वीर शिवा के हो, तुम्हें ये स्मरण कराने निकला हूँ  
तुम्हें तुम्हारे शौर्य पराक्रम का एहसास कराने निकला हूँ 
में भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ!!५!!


             

                        BY:-     ................मेघव्रत आर्य................






Saturday, 26 May 2012

BALIDAN TUMHARA(बलिदान तुम्हारा).......

ऐ शहीदों!! बलिदान तुम्हारा हर पल अमर रहेगा!
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!१!!

तुमने ही बन्दूक उठाकर दुश्मन को ललकारा
तुम्ही बन बैठे दुश्मनों की राहों पर अंगारा
आज़ादी का दीप तुम्हारे बल पर सदा जलेगा
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!२!!

धन्य है! जीवन तुम्हारा, तुमने अपने घर को छोड़ा
बहिनों की राखी छोड़ी, माताओं से मुख मोड़ा
कौन है, इस धरती पर जिन आँखों में पानी नहीं भरेगा
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!३!!

तुम सेनानी, तुम बलिदानी, तुमसे ''विजयी तिरंगा''
तुमसे ही वैभव पाती हैं, कोकिल यमुना-गंगा
देशप्रेम के लिए तुम्हे जग धरती पुत्र कहेगा
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!४!!

ऐ शहीदों!! बलिदान तुम्हारा हर पल अमर रहेगा
युग-युग तक भारत का कण-कण तुमको नमन करेगा!!५!!


          
                               BY:-                .................मेघव्रत आर्य.................
                 

Monday, 21 May 2012

SMRITIKAAR TU SMRITI KARA DE(स्मृतिकार तू स्मृति करा दे)......


स्मृतिकार तू स्मृति करा दे, देशप्रेम मतवालों की
मात्रभूमि पर मिटने वाले भारत माँ के लालों की!!१!!

स्मृति न विस्मृत होने पाए,

अपने स्याह लहू से स्वतन्त्र भारत का सृजन करने वालों की

स्मृतिकार तू  स्मृति करा दे

देश की आज़ादी और कारगिल में शहीद वीर जवानों की

स्मृतिकार तू स्मृति करा दे, देशप्रेम मतवालों की
मात्रभूमि पर मिटने वाले भारत माँ के लालों की!!२!!


स्मृति न विस्मृत होने पाए,

राष्ट्रहित फांसी के फंदे को गले का हार बनाने वालों की,

स्मृतिकार तू स्मृति करा दे

घायल सीना लेकर दुश्मनों को खाक में मिलाने वाले वीर जवानों की

स्मृतिकार तू स्मृति करा दे देशप्रेम मतवालों की
मात्रभूमि पर मिटने वाले भारत माँ के लालों की!!३!!


स्मृतिकार तू स्मृति करा दे, बूढ़े पिता को
उनके बुढ़ापे का सहारा बनने नहीं आ रहा हूँ, में
जिन कन्धों चढ़कर घुमा में पूरे बचपन
उन्ही कन्धों का सहारा लेने फिर आ रहा हूँ में,

स्मृतिकार तू  स्मृति करा दे बूढी माँ को
उसे छोड़कर नहीं जा रहा हूँ में,
अपितु भारत माँ की रक्षा के लिए एक माँ की
कोख से जन्म लेने फिर आ रहा हूँ में,

स्मृतिकार तू स्मृति करा दे देशप्रेम मतवालों की
मात्रभूमि पर मिटने वाले भारत माँ के लालों की!!४!!




                BY:-                      ..................मेघव्रत आर्य................

Saturday, 19 May 2012

KAHAN JAYEGI SABHYTA(कहाँ जाएगी सभ्यता)???


 दिल करता है, चाँद सितारे तोड़कर उनके क़दमों में बिछा दूं !
क्या कहते हैं आप उन्हें अपना VALENTINE बना दूं!!

अरसा गुजर गया उन्हें छुपकर निहारते!
कभी मुस्कुराते, कभी गुनगुनाते!!

कुछ कहने की सोची तो फिसल गयी जुबां!
बढ़ गयी धड़कन, दिल थर-थर कांपे!!

इस नयी "यो-यो जनरेसन"  को देखो, कितना सटीक वार करती है!
पहली ही मुलाक़ात में मिलन की बात करती हैं!!

ये प्यार का मतलब देह से समझ बैठे हैं!
 हर किसी पर अपना हक समझ बैठे हैं!!

सेल फ़ोन की तरह प्रेमिकाओं को बदल रहे हैं!
वो भी क्या कम हैं, सब कुछ समझ रहे हैं!!

वादा किसी से, निभाया कहीं और जा रहा है!
तेरे ''मस्त-मस्त दो नैन'', गाया कहीं और जा रहा है!!

या रब ऐसे में मेरे भारत महान का क्या होगा!
कहां जाएगी सभ्यता, संस्कृति का जाने क्या होगा!!



                                                              .........................

Friday, 18 May 2012

GARIBI KI PARIBHASHA(गरीबी की परिभाषा).........


 एक छोटी सी कविता
पूरी कहानी बयां कर जाती है!!१!!

गरीब लाचार व्यक्ति के
मन में छिपी सारी व्यथा बयां कर जाती है!

बेटी का विवाह  या समाज के ताने
मन में छिपा सारा दुःख बयां कर जाती है!

एक छोटी सी कविता
पूरी कहानी बयां कर जाती है!!२!!

बच्चों की शिक्षा या स्वयं का उपचार
मन में छिपी सारी दुविधा बयां कर जाती है!

पहनने को दो वस्त्र या रहने को छोटा सा आशियाँ
मन में छिपा सारा दुःख बयां कर जाती है!

एक छोटी सी कविता
पूरी कहानी बयां कर जाती है!!३!!

भगवान् पर अटूट विश्वास या किस्मत को दुत्कार
मन में छिपी सारी दुविधा बयां कर जाती है!

समाज की बेरुखी या सरकार की झूठी सहानुभूति
मन में छिपा सारा रोष बयां कर जाती है!

एक छोटी सी कविता
पूरी कहानी बयां कर जाती है!!४!!

भूखे पेट रोजगार की तलाश या साहूकार की गालियाँ
मन में छिपा सारा दर्द बयां कर जाती है!

बच्चों का वर्तमान या उनका भविष्य
मन में छिपी सारी दुविधा बयां कर जाती है!

एक छोटी सी कविता
पूरी कहानी बयां कर जाती है!!५!!

फटे वस्त्रो में जून की गर्मी या जनवरी की सर्दी
मन में छिपा सारा दर्द बयां कर जाती है!

दिवाली की रोशनी या होली के रंग
मन में छिपी सारी व्यथा बयां कर जाती है!

एक छोटी सी कविता
पूरी कहानी बयां कर जाती है!!६!!





         BY:-                       .....................मेघव्रत आर्य.....................

SERVILE ELECTRONIC MEDIA(चापलूस, चमचाखोर इलेक्ट्रोनिक मीडिया).........

कबीर याद हैं न आपको??? अरे वही, जो दोहे वोहे लिखा करते थे. अब भी याद नहीं आया, चलो अच्छा ही है की हम उन्हें भूल गए, वर्ना आज की इस चापलूस, चमचाखोर और चाटुकार इलेक्ट्रोनिक मीडिया की स्थिति देखकर वो बेचारे काशी के किसी घाट पर सिर पटक-पटक कर आत्महत्या कर लेते. चापलूसी और चाटुकारिता के प्रबल विरोधी कबीर से लेकर हरिशंकर परसाई तक चापलूसों के खतरे के भांपते हुए, कागज बर्बाद करके भगवान् को प्यारे हो गए. लेकिन चापलूसी आज भी जिन्दा है, देश की इलेक्ट्रोनिक मीडिया को देखकर तो लगता है की अमृतपान करके हमेशा के लिए अमर हो गयी है. निःसंदेह इलेक्ट्रोनिक मीडिया को देश की जनता ख़बरों के आदान-प्रदान का सबसे तेज और शसक्त माध्यम मानती है, और आशा करती है, की इलेक्ट्रोनिक मीडिया १ अरब २१ करोड लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओ का सच और देश की वास्तविक हकीकत उन्हें निष्पक्ष रूप से दिखाएगी. लेकिन इलेक्ट्रोनिक मीडिया को देश के सच और ख़बरों की निष्पक्षता से ज्यादा अपनी T R P(Television Rating Point) प्यारी है.  कुछ सरकारी हड्डियाँ (Govt.. Bribe) और सरकारी फंडिंग पर नाचने वाली इलेक्ट्रोनिक मीडिया से ये उम्मीद करना की वो जनता को निष्पक्ष खबरें दिखाएगी पूरी तरह बेमानी है. Delhi NCR में एक लड़की के साथ रेप हो जाने की घटना पर यही नीच, चमचाखोर, चापलूस सरकारी इलेक्ट्रोनिक मीडिया, उस लड़की और उसके परिवार को संवेदना और सहानुभूति के चार शब्द बोलना तो दूर उल्टा उसके  MMS Clip को ब्रेकिंग न्यूज़ बनाकर 24 घंटे अपने न्यूज़ चैनल पर चलाती है. तो दूसरी तरफ एक सांसद "नारायण दत्त तिवारी" राजभवन में एक महिला के साथ रंगरेलियां मानते हुए पकड़ा जाता है, अभी कुछ दिनों पहले एक अन्य  सांसद "अभिषेक मनु सिंघवी" का सेक्स वीडियो सोसिअल नेटवर्किंग साइट्स पर आया.  पुराने अनुभवी व बहुचर्चित पोर्न नेता नारायण दत्त तिवारी के एक पुराने कुकृत्य को नाम देने के लिए हाईकोर्ट ने उससे उसका ब्लड सैमपल माँगा, उसने देने से साफ़ मना कर दिया. जब सुप्रीम कोर्ट ने  जबरन उसका ब्लड सैमपल लेने का आदेश दिया तो उसे चक्कर आने लगे और इन सारे प्रकरणों पर गला फाड़कर चिल्लाने वाला यही नीच सरकारी मीडिया ऐसे चुप बैठ गया जैसे इसकी जुबान को लकवा मार गया हो या कुछ सरकारी हड्डियाँ इसके मुह पर मारकर इसका मुह बंद करा दिया गया हो. आखिर क्यों  इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने देश की संविधानिक संस्था CAG द्वारा किये गए खुलासे अब तक के सबसे बड़े घोटाले (कोयला घोटाले) से सम्बंधित खबरें अपने न्यूज़ चैनल पर नहीं दिखाईं??? आखिर क्यों सलमान के अफेयर और बिपासा के ब्रेकअप को प्रमुखता से दिखाने वाली नीच सरकारी इलेक्ट्रोनिक मीडिया करोड़ों रूपए के कर्जे में डूबे हर रोज आत्महत्या करने वाले लाचार और बेबस किसानो की सच्चाई देश की बाकी जनता को नहीं दिखाती???  हर रोज कभी रावण की ममी, स्वर्ग की सीडी, तो कभी दुनिया की आखिरी तारीख, दिन और साल पता लगाने का दावा करने वाली इलेक्ट्रोनिक मीडिया, आखिर क्यों आज तक "सोनिया माता" की बीमारी और उनके अस्पताल का पता नहीं ढून्ढ पायी??????????


        BY:-                              ..................मेघव्रत आर्य...................

Wednesday, 16 May 2012

PM Dr. MANMOHAN SINGH'S SECULARISM(प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की धर्मनिरपेक्षता)

आज धर्मनिरपेक्षता  का संक्रमण देश के स्वाभिमान और आत्मसम्मान को लगभग खोखला कर चुका है.   आज हिन्दू बहुसंख्य देश में हिन्दुओं को अपने ही अस्तित्व और आत्मसम्मान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.  अभी कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के राष्ट्रपति "आसिफ अली जरदारी" भारत के दौरे पर आये, जिनका ७२ व्यंजनों के साथ दश जनपथ पर जोरदार स्वागत किया गया, देश के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने स्वयं जरदारी के साथ अजमेर जाकर "मोईनुद्दीन चिस्ती" की दरगाह पर चादर चढ़ाई . आखिर डॉ मनमोहन सिंह की ऐसी कौन सी इक्छा या मनोकामना अधूरी रह गयी??? जो किसी गुरूद्वारे या मंदिर में जाने से पूरी नहीं हो सकती थी, और जिसे पूरा करने के लिए "मोइनुद्दिन चिस्ती" की दरगाह पर चादर चढाने  के लिए विवश होना पड़ा. यदि हम ये मान भी लें की हो सकता डॉ मनमोहन सिंह अल्पसंख्यक मुस्लिम, (हिन्दू-मुस्लिम) एकता  और धर्मनिरपेक्षता के लिए दरगाह पर चादर चडाने गए??? तो दूसरी तरफ पाकिस्तान का लाहौर और सिंध प्रान्त जहाँ लव जेहाद के नाम पर अब तक दर्जनों अल्पसंख्यक सिख और हिन्दू  लड़कियों को जबरन अगवा कर उनकी मर्जी के विरुद्ध मुस्लिम युवको से शादी करा कर धर्म परिवर्तन करा दिया गया और उनके परिजनों को ऐसी-ऐसी यातनाएं और धमकियाँ दी जाती हैं कि वो उनके इस कुकृत्य का कभी खुलकर विरोध तक नहीं कर पाते.  तो क्या यही धर्मनिरपेक्ष और शांतिप्रिय प्रधानमंत्री "डॉ मनमोहन सिंह" अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को   निभाते हुए पाकिस्तान जाकर लव जेहाद और अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा के मुद्दे   को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर उठा सकते हैं??? क्या डॉ मनमोहन सिंह पाकिस्तान में जाकर हिन्दू-मुस्लिम एकता और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर आसिफ अली जरदारी या प्रधानमंत्री युसूफ राजा गिलानी को अपने साथ किसी गुरूद्वारे या मंदिर में प्रसाद ग्रहण करने के लिए ले जा सकते हैं??? क्या जरदारी, बिलावल या युसूफ राजा गिलानी में से कोई भी डॉ मनमोहन सिंह के साथ किसी गुरूद्वारे में जाकर लंगर के लिए आर्थिक सहायता तो छोड़ो, क्या पांच किलो चावल या दो किलो गुड भी दान कर सकते हैं???   में दावे के साथ कहता हूँ की जरदारी, बिलावल या गिलानी में से कोई भी धर्मनिरपेक्षता तथाकथित (हिन्दू मुस्लिम एकता) के नाम पर किसी गुरूद्वारे या मंदिर में कभी नहीं जायेंगे . तो फिर क्या धर्मनिरपेक्षता निभाने की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ हिन्दुओं की ही रह गयी है??? आखिर कब तक अपना स्वाभिमान और आत्मसम्मान "दस जनपथ" पर 'सोनिया माता' के चरणों में गिरवी रख चुके डॉ मनमोहन सिंह धर्मनिरपेक्षता (वोटबैंक) के नाम पर आतंकवाद, लव जिहाद और अफजल-कसाब जैसे अतिसंवेदनशील और गंभीर विषयों पर मौनव्रत धारण किये रहेंगे????

            BY:-
                                                 
                                       ......................मेघव्रत आर्य........................

THE SHINKING SHIP(डूबता जहाज)


एक बार एक शिप अचानक समुद्र में डूबने लगा. तभी शिप का कैप्टेन जोर से चिल्लाया की क्या शिप में सवार यात्रियों में से कोई तांत्रिक विद्या जनता है, जिससे शिप और बाकी के यात्रियों को बचाया जा सके. तभी     "निर्मल बाबा" खुशी ख़ुशी निकलकर आगे आये और बोले में जानता हूँ, सभी यात्रीगढ़ पांच पांच बार समुद्र के पानी से कुल्ला करें, कृपा जरूर बरसेगी और जब कृपा हो जाये तो मेरे अकाउंट में तीन तीन हज़ार रूपये जमा करा देना. कैप्टेन बोला धन्यवाद!!! आप आराम से बैठकर  कुल्ला करो हमारे पास एक लाइफ जैकिट कम थी. इसलिए पूछना पड़ा.......................................


                          

ASTHA KA BADHTA VYAPAAR(आस्था का बढ़ता व्यापार)


विख्यात साइकलोजिस्ट "कार्ल मार्क्स" के अनुसार मनुष्य मूलतः तार्किक प्राणी है.  "वह पहले संदेह करता है और बाद में विश्वास". पर शायद भारतीय मन को कार्ल मार्क्स के इस नियम का अपवाद कहा जा सकता है, विशेष रूप से धर्म, आस्था और बाबाओं  के मामले में.  भारतवर्ष को साधू और महात्माओं का देश अकारण ही नहीं कहा जाता रहा है. सचमुच यहाँ साधू और बाबाओं पर लोग बड़ी आसानी से श्रद्धा और विश्वास कर लेते है. इसलिए यहाँ बाबागिरी का धन्दा अच्छा खासा चलता है. अनेकों लोग यहाँ टीवी और मार्केटिंग की लचर नीतियों का फायदा उठाकर आस्था और श्रद्धा का खुला व्यापार करते हैं. क्योंकि भारतीय भाग्यवादी समाज में ज्यादातर लोगों को समस्याओं का सीधे खुलकर सामना करने, और उनका हल खोजने के बजाय बाहरी आश्वासन और सांत्वना की आवश्यकता होती है.  इसलिए वे कृपा और आशीर्वाद के पीछे भागते हैं. भारतीय लोगों की इसी सोच के चलते बाबाओं और तांत्रिकों का धन्दा चलता है.  वर्तमान उदाहरण एक तीसरी आँख वाले ब्रांडेड बाबा (निर्मल बाबा) का है.  तथाकथित तीसरी आंख वाले ये चम्पू बाबा "निर्मलजीत सिंह नरूला" जो अपने पूरे जीवनकाल में स्वयं कभी सफल नहीं हो पाए, अपनी तीसरी आंख से लोगों का भविष्य देखकर उसे सुधारने का दावा करते हैं. तीसरी आंख वाले ये चम्पू बाबा आर्थिक और मानसिक रूप से हार चुके लोगों की भावनाओं का फायदा उठाकर उन्हें उल्टे सीधे उपाय बताकर  आस्था और कृपा के नाम पर करोड़ों रूपये की काली कमाई करते हैं. यद्यपि उनके उपाय भी तर्क और प्रमारिकता की कसोटी पर कहीं नहीं टिकते क्योंकि एक सामान्य मानसिक स्तर का व्यक्ति भी जनता है कि कैसे समोसे या गोलगप्पे खाने से उसका व्यापार बढ़ सकता है, कैसे गधे को घास खिलाने से, कुत्ते के बिस्किट खाने से कृपा बरस सकती है या महंगे पर्स, मोबाइल और चम्पू बाबा के अकाउंट में पैसे जमा करने से आपका प्रोमोसन हो सकता है. लेकिन फिर भी लाखों अंधभक्त ऐसे बाबाओं के चंगुल में फँस जाते हैं और हर बार लुटने और ढगे जाने के बाद ही उनकी आंखें खुलती है. पानी एक निश्चित ताप १०० *C पर गर्म होने के बाद ही भाप में बदलता है.  हो सकता है कुछ साधू महात्माओं में तपश्चर्या का ताप रहा हो. लेकिन कुछ अभी १००*C के मानबिंदु (पूर्ण आत्मविकास) पर नहीं पहुँच सके हैं. उनके कृत्य और क्रियाकलाप बताते हैं कि वो भी अभी अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं और एश्वर्य के मकड़जाल में फंसे हुए हैं. आज भारतीय भाग्यवादी समाज को धन, धर्म, श्रद्धा और आस्था कि हानि से बचने के लिए आवश्यक है कि वे ऐसे बाबाओं से सतर्क रहे और उनका पूर्णतया सामाजिक बहिस्कार करें. चाहे फिर वो तीसरी आंख वाले निर्मल बाबा हों या पॉल धिनाकरण और सईद नाइक जैसे अन्य धर्मों के बाबा जो लोगों को धर्म और आस्था के नाम पर ठगने के साथ साथ गरीब और आदिवासी भारतीयों को पैसे व अनेकों झूठे प्रलोभन देकर उनका धर्म परिवर्तन तक करा रहें हैं.............


                                                   .................मेघव्रत आर्य.................

Monday, 14 May 2012

******"MAD WOMEN(मैड वूमेन)"******

मथुरा के प्रसिद्ध तकनिकी शिक्षण संस्थान बी एस ए कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेकनोलोजी से लगभग ५० कदम पहले में हमेशा एक वृद्ध महिला को सड़क के किनारे बैठे देखा करता था. लम्बी  बीमारी से ग्रसित कड़ाके की ढंड में कंपकपाता शरीर, चेहरे पर गहन दुःख, उदासीनता के भाव, सफ़ेद बाल और अनेकों दुखों में आंसू बहाकर लगभग दृष्टीविहीन नेत्र कुछ यही व्यकतित्व था उस वृद्ध महिला का, जिसके पास न तो सर छुपाने के लिए कोई छत थी और न ही तन ढकने के लिए पर्याप्त कपडे. उसके पास सिर्फ एक फटी सी धोती थी जिससे वो अपने तन को ठीक से ढक भी न पाती थी. वही सडक के किनारे की उथली जमीन उसका बिस्तर थी और मीलों मील  फैला आसमान उसकी चादर. भूख प्यास की तो जैसे उसे कोई सुध ही न थी. न जाने किस आस में लगभग रोशनी खो चुकी उसकी आँखें सड़क पर आते जाते लोगों और वाहनों को एकटक निहारती रहती थीं. पता नहीं क्यों उसके निकट से गुजरने वाले लोगों की आहट अचानक कभी उसे इतना प्रसन्न और व्याकुल क्यों कर देती थी. अनेकों चिन्ताओं और बिमारियों से जर्जर अपने बूढ़े शरीर के बावजूद भी वह न जाने क्यों मथुरा की सड़कों पर ख़ाक छानते हुए सड़क के किनारे और सड़क पर पड़े केले के छिलके, पानी की खाली बोतलें और पॉलीथीन इत्यादी चुनती रहती थी जैसे यही सब उसकी दिनचर्या में शामिल थे. उसको इतनी बार करीब से देखने और उसके मन में छिपे गहन दर्द को महसूस करने के बाद भी, में अभी तक उसका वास्तविक नाम नहीं जानता था परन्तु सुबह-सुबह स्कूल जाने वाले बच्चे उसे उसकी इन्ही आदतों के कारण मैड वूमेन (पागल औरत) कहकर चिड़ाते थे यहाँ तक की हमारे समाज के बड़े और संभ्रांत लोग भी उसे समय समय पर मैड वूमेन कहकर त्रिस्क्रित करते थे. किन्तु अन्तः करण को झकझोर देने वाले इन सभी विश्लेषणों से लापरवाह वह अपनी ही दिनचर्या में व्यस्त रहती थी. लोगों के मन में जो आया उसे कहा लेकिन कभी किसे न यह जानने का प्रयास नहीं किया की एक महिला मैड वूमेन कैसे बनी.  काफी सोचने विचारने के बाद एक दिन मैंने उसके पास जाकर उससे उसके बारे में पूछ ही लिया.  पहले तो उसने मुझे कई बार अनसुना कर दिया , लेकिन मेरे कई बार आग्रह करने पर उस तथाकथित मैड वूमेन के मन में छिपे असंख्य दुखों का ज्वालामुखी उसकी आँखों से आंसुओं के रूप में शखलित हो उठा.  उसके बताने पर मुझे ज्ञात हुआ की उस कथित मैड वुमन का वास्तविक नाम "स्मृति" था. एक ऐसी स्मृति जिसके मन में छुपी अनेकों अच्छी और दर्दनाक बुरी यादों का एक विशाल संग्रह अब तक विस्मृत नहीं हो पाया था, उसके बताने पर और उसे करीब से देखने के बाद मुझे अचानक ही स्मरण हुआ की स्मृति (मैड वूमेन) वही महिला थी जिसे मैंने अब से करीब 15 साल पहले  अनेकों बार वृन्दावन स्थित प्राचीनतम मंदिर "बांके बिहारी" में अपने बेटे की तरककी उसके यश, कीर्ति और पति की लम्बी आयु की कामना करते हुए देखा था . स्मृति का भी कभी एक छोटा सा हँसता खेलता, सुखी और संपन परिवार था.  उसके पति भारतीय सेना में कार्यरत थे और उसका एक बेटा है अभिनव जिसके बचपन में कई बार कथित (मैड वूमेन) नाम कि यही महिला स्मृति स्वयं भूखी रहकर अपने हिस्से का निवाला भी बेटे को खिला दिया करती थी यहाँ तक कि बेटे के भरपेट भोजन न करने पर वह इतनी व्याकुल और परेशान हो उठती थी, जितनी कि आज जीवन में असंख्य कष्टों को झेलने के बाद भी नहीं थी. यहाँ तक कि पति द्वारा उसके उपचार के लिए भेजे जाने वाले पैसों को भी वह कभी अपनी दवाओं और उपचार पर खर्च नहीं करती थी. वह उन सारे पैसों को बेटे को अच्छी शिक्षा और उसके भविश्य को सुधारने के लिए व्यय कर देती थी. उसके बारे में इतना कुछ जानने के बाद अचानक ही मेरे मन में श्रंखलाबद्ध तरीके से अनेकों प्रश्न आने लगे.  मेरे अधिक पूछने पर उसने मुझे बताया कि उसके बेटे के अलावा उसकी एक छोटी ७ वर्षीया बेटी "अभिलाषा" भी थी. मासूम सा चेहरा, बड़ी-बड़ी आंखें और अपनी माँ के लिए  हमेशा कुछ न कुछ करने का जूनून कुछ यही परिचय था मासूम और थोड़ी सी शरारती अभिलाषा का. एक वही तो थी जिसे अपनी माँ स्मृति कि सबसे अधिक चिंता रहती थी. यहाँ तक कि स्कूल से घर वापस आने के बाद वह एक पल के लिए भी माँ को अपनी आँखों से ओझल नहीं होने देती थी. पूरे परिवार में शायद एक वही थी जो माँ का दुःख और उसकी परेशानियों को अच्छी तरह समझ सकती थी. उसके चंचल से मन में ढेरों अभिलाषाएं थी, वह स्वयं बड़ी होकर डॉक्टर बनकर माँ का इलाज करना चाहती थी. लेकिन समय को शायद यह सब स्वीकार नहीं था, एक दिन जब वह स्कूल जा रही थी तो उसकी माँ कि आंखें अचानक ही नम हो उठी, शायद ये किसी अनहोनी का ही पूर्वानुमान था. इस पर स्मृति ने उसे संभल कर स्कूल जाने कि सलाह दी. जैसे ही छुट्टी के बाद घर वापस आने के लिए वह सड़क पार करने लगी अचानक उसका पैर सड़क पर पड़े केले के छिलके पर पड़ा और वह फिसल कर गिर पड़ी इतने में सड़क पर दौड़ते सरपट वाहनों के बीच तेज़ी से आती एक बस ने उसे बुरी तरह कुचल दिया और इस दर्दनाक हादसे में अभिलाषा कि मौत हो गयी. इस हादसे से स्मृति को इतना गहरा सदमा लगा कि वह बेतहाशा पागलों कि तरह सड़कों पर निकल पड़ती और सड़क पर पड़े केले के छिलके, पानी कि बोतलें और पॉलीथिन इत्यादि चुनती रहती जिससे कि किसी और कि बेटी या बेटा ऐसे ही किसी दर्दनाक हादसे का शिकार न हो सके और तभी से लोगों ने उसे स्मृति के स्थान पर मैड वूमेन कहना शुरू कर दिया. इस घटना के कुछ ही दिन बाद उसके पति जिनकी पोस्टिंग इस समय LOC ( Line of control) कारगिल में थी, पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हुए मात्रभूमि कि रक्षा के लिए शहीद हो गए. देश के लिए कश्मीर कि बर्फीली वादियों में हमेशा के लिए मिट जाने वाले शेखर कि विधवा पत्नी को उनके शहीद होने के १० वर्ष  बीतने के बाद भी लाखों कोशिशें करने के बावजूद विधवा पेंशन और शहीदों के परिवारों को मिलने वाले सामूहिक लाभ नही मिलते. अब तो उसके बेटे अभिनव ने भी स्मृति को मैड वूमेन कहकर घर से निकाल दिया है. अब वही धूल भरी जगह उसका बिस्तर है और नीली चादर ओढ़े मीलों-मील फैला आसमान उसकी चादर. पिछले कुछ दिनों से वह स्थान जहाँ वह हमेशा बैठी रहती थी खाली पड़ा है, कोई नहीं जनता कि आज स्मृति कहाँ और किस हालत में है, है भी या वह भी किसी कालचक्र का शिकार हो गयी????


नोट:- यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है, लेकिन फिर भी स्मृति जैसी शहीदों कि लाखों विधवाओं और न जाने कितने ही जवान बेटों कि वृद्ध माताएं जो आँखों में आंसू लिए सड़को पर रोटी के लिए भटक रही हैं या वृद्ध आश्रम की  दिवार से पीठ टिकाये सिसकियाँ ले रहीं हैं, कि कहानी को पूर्णतः चरितार्थ करती है. यदि इस कहानी को पढने के बाद एक भी जवान बेटे या बेसहारा शहीदों के परिवारों और नारी सशक्तिकरण के नाम पर लाखों झूठे वादे करने वाली केन्द्र सरकार के एक भी मंत्री, नेता या ऐसे ही गभीर विषयों पर एन जी ओ या रिअलिटी शो  बनाकर लोगों की भावनाओं से खेलकर करोड़ों रूपये की फंडिंग और सिर्फ अपनी पब्लिसिटी करने वाले अभिनेताओं में से यदि किसी एक भी व्यक्ति का हृदय परिवर्तित होता है, और वह इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठाता है. तो मैं समझूंगा कि मेरा इस कहानी को लिखने का उद्देश्य सफल हुआ. धन्यवाद!!!


         आपका ..............                                                                                                                                              


******मेघव्रत आर्य******